हिंगलाज जयते

सकारात्मकता से विकास की ओर बढ़ते कदम

HINGLAJ JAYATE


श्री हिंगलाज मंदिर लसबेला पाकिस्तान
हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में सिंध राज्य की राजधानी कराची से 120 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के मकराना तटीय क्षेत्रों में हिंगलाज में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। यह इक्यावन शक्तिपीठ में से एक मन जाता है और कहते है कि यहाँ सती माता के शव को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर यहाँ उनका ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था। ऋषि दधीचि ने कहा था कि ब्रह्मक्षत्रियों की उत्पत्ति क्षत्रिय से हुई थी तथा हिंगलाज देवी ब्रह्मक्षत्रियों की कुलदेवी होगी और उन्हें हर समय हिंगलाज देवी की पूजा करनी चाहिए। जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा की तरह हिंगलाज यात्रा को भी मुश्किल माना जाता है लेकिन जो लोग इसे कटलरते है उन्हें माता द्वारा भारी आशीर्वाद दिया जाता है।


*हिंगलाज मंदिर पोकरण (राजस्थान)*
भारत के प्राचीन हिंगलाज मंदिरों में पोकरण ( जैसलमेर) के हिंगलाज माता मंदिर की गिनती की जाती है। यह मंदिर खत्रियों के गुरु श्री फरसरामजी मौसणी सारस्वत ने सम्वत 1934 माघ माह के शुक्ल पक्ष को षष्टि वार गुरुवार शाके 1799 सन 1877 को बनाया था। तत्पश्चात यह मंदिर खत्री समाज को प्रदान कर दिया गया। पोकरण के मेहरलाई तालाब पर बना मंदिर दर्शनीय है। इस मंदिर में स्थापित देवी हिंगलाज हंसवाहिनी है। कहते है यह मूर्ति पाकिस्तान में लसबेला बलूचिस्तान नामक स्थान पर बने मंदिर से लेकर स्थपित की गई है। माता हिंगलाज को सरस्वती का रूप माना गया है। इसलिए माता की सवारी में हंस की सवारी दर्शायी गयी है। प्राकृतिक दृष्टि से यह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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